NavBharatTimes भारत में मेडिकल छात्रों की आत्महत्या और ड्रॉपआउट की दर चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। पिछले पाँच वर्षों में 64 एमबीबीएस और 58 पोस्ट-ग्रैजुएट पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले 122 मेडिकल छात्रों ने आत्महत्या की। इसी अवधि के दौरान 1,270 छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी। मेडिकल एजुकेशन की कठोर शर्तें, असीमित ड्यूटी आवर, आराम करने के पर्याप्त वक्त का अभाव और सीनियर्स द्वारा बनाया गया दमघोंटू वातावरण छात्रों में तनाव और मानसिक समस्याओं का कारण बन रहा है।