NavBharatTimes मनरेगा के तहत काम के दिनों की संख्या महामारी से पहले के समय से 40 करोड़ बढ़कर 305.2 करोड़ तक पहुँच गई है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक संकट और शहरों में पूर्ण रोज़गार के अवसरों की कमी को दर्शाता है। 2019-20 से तुलना करने पर, यह संख्या 28.4 करोड़ (2022-23) और 40 करोड़ (2023-24) अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा की बढ़ती मांग ग्रामीण बेरोजगारी और संकट का संकेत है, विशेष रूप से अकुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए।