NaiDuniya 1993 के सीरियल ब्लास्ट केस में टुंडा के रूप में जाने जाने वाले अब्दुल करीम को बरी कर दिया गया है। एक होम्योपैथिक दवाई विक्रेता से पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा से प्रशिक्षित आतंकवादी बनने की उनकी यात्रा में राम मंदिर आंदोलन उनकी चरमपंथ की ओर बढ़ने में महत्वपूर्ण रहा। 1996-1998 के बीच हुए बम धमाकों का आरोप उन पर लगा था। साल 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार होने से पहले उन्होंने कई बार अपनी मौत की अफवाह फैलाई थी। उनका नाम टुंडा बम बनाते समय अपने बाएं हाथ को खोने की घटना से पड़ा था।