PrabhatKhabar सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रोफेसर के खिलाफ धारा 153A के तहत दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया। प्रोफेसर ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आलोचना व्हाट्सएप स्टेटस पर की थी। कोर्ट का कहना है कि प्रत्येक नागरिक को सरकार के निर्णयों की आलोचना करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 19 (1) (a) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है और प्रोफेसर ने कोई सीमा नहीं लांघी।