NavBharatTimes भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में रायसीना डायलॉग में बहुपक्षवाद पर अपनी असहमति जाहिर की। उनका मानना है कि बहुपक्षवाद का अस्तित्व राष्ट्रीय हितों के साथ ही रह पाएगा। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के भारत के फैसले को इसका उदाहरण दिया। उन्होंने यूएन की सदस्यता में हुई वृद्धि और उसकी जटिल कार्यप्रणाली की भी आलोचना की। जयशंकर का कहना है कि यूएन जैसे वैश्विक संगठनों में सुधार की आवश्यकता है ताकि उन्हें अधिक प्रभावी और न्यायपूर्ण बनाया जा सके।